शनिवार, 11 दिसंबर 2010

मेरी नज़र में चंडीगढ़

अगस्त में मेरा ट्रान्सफर चंडीगढ़ हो गया है। मैं करीब ३-४ महीने से यहाँ हूँ। यह एक विकसित शहर है। पक्की सड़के पानी, बिजली सब टाइम पर आता है, सुरक्षा के लिहाज से (महिलाओ के संदर्भ में) भी ठीक शहर है। इस शहर की ज्यादातर आबादी आराम पसंद है। क्वालिटी ऑफ लाइफ उन्हें सबसे प्यारी है। यहाँ बुजुर्ग लोग ज्यादा रहते है। और यदि मैं अपना अनुभव बताऊ तो मुझको यहाँ के लोग बेहद लालची भी लगते है।
यहाँ रहने के लिए घर ढूँढना मुश्किल काम है। बहुत सारे इंस्टिट्यूट खुल जाने के कारण आपको यहाँ रहने के लिए एक अदद मकान नहीं मिलेगा, क्योकि लोगों ने ज्यादा इनकम के लिए पीजी (पेइंग गेस्ट) रखने शुरू कर दिए है। इन पीजीस में हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, जम्मू वगेरह शहरों से आई लड़कियां रहती है। मैं अभी तक किसी जम्मू की रहने वाली लड़की के साथ नहीं रही इसलिए इसी आधार पर कह रही हूँ कि जम्मू को छोड़कर बाकी शहरो की लड़कियां काफी लाउड होती है। दरअसल उनके यहाँ बातचीत का सामान्य तरीका यही है। यदि आप सोच रहे हैं कि आपको रिजनेबल रेंट पर एक अच्छा घर मिल जायेगा तो यह थोडा नहीं बहुत मुश्किल है। यहाँ फेसिलिटी कम और पैसा ज्यादा देना पड़ता है।
यहाँ हर घर में ओसतन तीन कार हैं। सो पार्किंग एक बड़ा इशू है। पैसा ज्यादा होने और वक्त की कमी के चलते माँ बाप बच्चों को जल्दी कार की चाबी दे देते है। यहाँ रोड एक्सिडेंट ज्यादा होते है। क्योकि रेश ड्राइविंग होती है। जो बच्चे ही नहीं बड़े भी खूब करते है। कुछ ही दिनों पहले १४ से १९ साल के बच्चों में शराब पीने की आदत पर किये गए एक सर्वे में चंडीगढ़ का स्थान पूरे भारत में दूसरा था।