गुरुवार, 4 मार्च 2010

आम आदमी की भावनाएँ

इंसान में भावनाएं होना बहुत जरूरी है। लेकिन हम हिंदुस्तानी लोग कुछ ज्यादा ही भावुक होते हैं इसलिए बात-बात पर हमारी भावनाएं भड़क जाती हैं। अब एम एफ हुसैन की विवादास्पद पेंटिंग को ही लीजिए। लोगों की भावनाएं इतनी ज्यादा भड़की कि हुसैन को भारत छोड़कर दुबई जाना पड़ा। आखिर हुसैन ने ऐसा क्या गुनाह किया कि कुछ कट्टरपंथी लोग उनकी जान के दुश्मन बन गए। अब खबर है कि उन्होनें कतर की नागरिकता स्वीकार कर ली है। हुसैन ने अपनी पेंटिंग बनाते हुए जो किया था वह एक पेंटर की अभिव्यक्ति थी। उससे हम सहमत और असहमत दोनों हो सकते है। अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार हर व्यक्ति के पास है। लेकिन विरोध करने का भी एक तरीका होता है। और फिर जो पेंटिंग वर्ष 1970 में बनी थी उस पर तब किसी ने विरोध दर्ज क्यों नहीं किया। 25 साल बाद ही कुछ लोगों को क्यों इसकी याद आई? देश में मंहगाई बढ़ती जा रही है, बेरोजगारी ,खासकर शिक्षित बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, आए दिन भष्ट्राचार के मामले सामने आ रहे है, कृषि की उत्पादकता घटती जा रही है। कुछ करना ही है तो इन क्षेत्रों में किया जाना चाहिए। नेता सिर्फ राजनैतिक रोटियां सेंकने और चर्चा में रहने के लिए ही आम आदमी की भावनाओं की आड़ लेते हैं। करने को तो बहुत कुछ है शायद हम उस और देखना ही नहीं चाहते।

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